नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
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येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ॥ १ ॥
श्री सरस्वती अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
You'll want to make sure you don’t recite it with any ill feelings or with any unfavorable intentions.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
'सुक्खू सरकार से लिखित आश्वासन मिलने तक here धरना जारी', वोकेशनल टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन की दो टूक
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
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